शनिवार, 2 फ़रवरी 2008

अति

शापित अति मत कीजिये, अति कीजे नहि चैन।
ना अति चुप रहना भलो, ना अति बोले चैन॥॥

जीवन में 'अति' अति बुरी, याते बुरो न और।
अतिवादी कूँ जगत में, मिले न गज भर ठौर॥॥

नहि अति सुन्दरता भली, नहि अति भलो कुरूप।
अतिशय भली न चाँदनी, अतिशय भली न धूप॥॥

अति परिचय में घटत है, प्रीत, प्रेम, सम्मान।
मर्यादित अन्तर रखें, होय नहीं व्यवधान॥॥

अति कीजै हरि भजन में, अति कीजै उपकार।
मनन अध्ययन अति किये, होवे बेड़ा पार॥॥

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