बापू जी के कार्य से, मिली न केशव शान्ति।
हिन्दू संगठन के बिना, होय नहीं नव क्रान्ति॥॥
विजयपर्व पर हो गया, नव विचार का जन्म।
संघ बीज बो नागपुर, किया देश को धन्य॥॥
उन्नीस सौ पच्चीस सन, राम-विजय सा पर्व।
दलित उपेक्षित हिन्दु में, जागा सोया गर्व॥॥
अल्प समय में देखते, स्थापित की शाख।
आँख पफाड़ जग देखता, सेवक क्रिया कलाप॥॥
विश्व पंथ पर एक नहिं, परहित त्यागी पंथ।
क्रिया कलाप लखि चकित सब, मुल्ला, पोप, महंत॥॥
शिक्षित त्यागी संयमी, बालक, वृद्ध जवान।
संस्कार दे, कर रहे, मनुज-राष्ट्र उत्थान॥॥
केशव जी की पौध को, दे दर्शन की खाद।
पूज्य 'गुरुजी' ने किया, जन मन में आबाद॥॥
शनिवार, 2 फ़रवरी 2008
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