वेदोपनिषद् पुरान सब, समझो ब्रह्म स्वरूप।
गीता में प्रभु ने स्वयं, प्रकट किया निज रूप॥॥
गीता ज्ञान प्रबोधिनी, सब ग्रंथों का सार।
एक-एक अध्याय सुन, अगनित जनमा पार॥॥
शनिवार, 2 फ़रवरी 2008
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कविवर श्री मुरारी लाल गोयल 'शापित' द्वारा रचित सतसई (इसका प्रकाशन शीघ्र ही किया जा रहा है)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें